झांक कर अंदर सूक्ष्म तहों में रंगीन जमाना दिखने लगा , शराब से भी वो नशा न आये ऐसी नशीली तुम्हारी आँखे। शर्म हया से झुके जो सात खून भी माफ़ करवा दे , छिपी साथ में शरारतें लाखों ऐसी चंचल तुम्हारी आँखे। तेज आंखों में ऐसा कि कुछ भी कर गुजरे , कभी बर्फ से ठंडी नज़र आये ऐसी शीतल तुम्हारी आँखे। एक बार देखा था "cutie" अब देखता ही रहुंगा , देख कर "Raj" सुकून मिले ऐसी अद्भुत तुम्हारी आँखे।
Written by Hom Krishan"Raj"
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