तुम्हारी आंखे - जिन पर में मरता था - Ye Mandi

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Wednesday, December 26, 2018

तुम्हारी आंखे - जिन पर में मरता था


दास्तान उन नैनों की जो कर गई बेहोश मुझे ,
होश में होकर भी होश न आये ऐसी मदहोश तुम्हारी आँखे।

नजरें मिली जब तुमसे न जाने कुछ होने लगा,
बस देखते देखते ही प्यार आये मासूम प्यारी तुम्हारी आँखे।


झांक कर अंदर सूक्ष्म तहों में रंगीन जमाना दिखने लगा ,
शराब से भी वो नशा न आये ऐसी नशीली तुम्हारी आँखे।

शर्म हया से झुके जो सात खून भी माफ़ करवा दे ,
छिपी साथ में शरारतें लाखों ऐसी चंचल तुम्हारी आँखे।

तेज आंखों में ऐसा कि कुछ भी कर गुजरे ,
कभी बर्फ से ठंडी नज़र आये ऐसी शीतल तुम्हारी आँखे।

एक बार देखा था "cutie" अब देखता ही रहुंगा ,
देख कर "Raj" सुकून मिले ऐसी अद्भुत तुम्हारी आँखे।

Written by Hom Krishan"Raj"
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